भावेविण भक्ति भक्तिवीण मुक्ति |
बळेविण शक्ति बोलू नये ||१||
कैसेनि दैवत प्रसन्न त्वरित |
उगा राहे निवांत शिणसी वायां ||२||
सायास करिसी प्रपंच दिननिशीं |
हरिसी न भजसी कवण्या गुणे ||३||
ज्ञानदेव म्हणे हरिजप करणे |
तुटेल धरणे प्रपंचाचे ||४||
बळेविण शक्ति बोलू नये ||१||
कैसेनि दैवत प्रसन्न त्वरित |
उगा राहे निवांत शिणसी वायां ||२||
सायास करिसी प्रपंच दिननिशीं |
हरिसी न भजसी कवण्या गुणे ||३||
ज्ञानदेव म्हणे हरिजप करणे |
तुटेल धरणे प्रपंचाचे ||४||
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