Tuesday, September 30, 2014

Trigun Asar Nirgun Ye Sar / त्रिगुण असार निर्गुण हे सार / Haripath Abhang tisara

त्रिगुण असार निर्गुण हे सार |
सारासार विचार हरिपाठ ||१||
सगुण निर्गुण गुणांचे अगुण |
हरिविणे मन व्यर्थ जाय ||२||
अव्यक्त निराकार नाही ज्या आकार |
जेथोनी  चराचर हरीसी भजे ||३||
ज्ञानदेवा ध्यानीं रामकृष्ण मनीं |
अनंत जन्मोनी पुण्य होय ||४||

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